Add To collaction

मेरा वजूद

*ग़ज़ल*

मेरी मौत के तमाशाबीनों, मैं कोई बेचारा न था ,
मेरी हस्ती , मेरा वजूद , कुछ भी तुम्हारा न था ।

सहल हो गई मन्जिलें ,ईत्मिनान से ,
चलते रहे , रूकना जिन्हे गंवारा न था ।

बुलन्दियों पे जाके , अब पशेमान क्यों ,
रंज-ओ-ग़म नहीं , जो हमारा न था ।


भरोसेमन्द छोड़ गये  बीच मंझधार ,
शुक्रगजार हूँ खुदा , कोई और सहारा न था ।

मांग ली खेरियत मेरी जमाने भर की ,
मगर रात जो टूटा , वो सितारा न था  ।

   
      

*गौतम वशिष्ठ*

   16
12 Comments

shweta soni

24-Aug-2022 12:48 PM

Nice

Reply

Chetna swrnkar

24-Aug-2022 11:57 AM

Bahut khub

Reply

Seema Priyadarshini sahay

24-Aug-2022 08:02 AM

बेहतरीन

Reply